सुविधाओं का बाट जोह रहा पशु चिकित्सालय मऊगंज ...... ..
मऊगंज। शासन प्रशासन की अनदेखी की वजह से जो दुर्दशा मऊगंज के विटनरी अस्पताल की हुई है ,उसकी रही सही कसर यहाँ के अधिकारी कर्मचारियों ने पूरी कर दी है..लगभग ३० वर्ष से ज्यादा की इस इमारत में दो कमरे हैं जिसकी छत बरसात में टपकती है .जिससे वहाँ रखे सामग्री का क्या हाल होता होगा , यह बताने की जरूरत नहीं है..शासन ने नयी इमारत बनाने के लिए लोकनिर्माण विभाग को लगभग ८.५० की स्वीकृति दी थी ,जो बनना तो शुरू हो गयी थी लेकिन कुछ अभी बचा है.. .
पद खाली ..
जानकारी के अनुसार पशु चिकित्सालय मऊगंज में वर्ष २०१२ से विटनरी असिस्टेंट सर्जन का पद खाली है ..एक ज़माना था जब इसी पशु चिकित्सालय में ७ से ज्यादा स्टाफ कार्य करते थे ...लेकिन वर्तमान में इस चिकित्सालय में पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों की अकर्मण्यता स्वयं में अपनी कहानी बयाँ कर रही है ..पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी डॉ नर्वदा सिंह गहरवार को इस चिकित्सालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है ..इनके क्षेत्र की अंदर लौर,बनपाणर,खैरा, बहेराडाबर आदि आता है ..इनके अतिरिक्त यहाँ के स्टाफ में एक सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी व दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं..इसमें एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की ड्यूटी रात में होती है..इसका मतलब जब कोई ग्रामीण अपना मवेशी लेकर यहाँ आता है तो स्टाफ के तौर पर उसे सिर्फ दो कर्मचारी नजर आते हैं..स्थिति तब और भी विकट हो जाती है जब इनमे से एक कर्मचारी छुट्टी पर हो या उसे मवेशी के उपचार के लिए गावों में जाना पड़े..स्टाफ की कमी को भुनाने में यहाँ के कर्मचारी भी काम नहीं हैं..अपनी इस महत्ता को बताना व जाहिर करना ,उनसे बखूबी आता है ..एक दुसरे का सहयोग व देखभाल करना इन कर्मचारियों को खूब आता है ..एक कर्मचारी का दुसरे की अनुपस्थिति में यह कह देना कि वह दुसरे गाँव मवेशी के उपचार के लिए गया है ,यह उनकी आम भाषा है ..या फिर उपचार के लिए लाये गए मवेशियों के मालिक को कह देना कि और लोग बुला कर लाओ क्योंकि अकेले नहीं संभलेगा ,यह तो उनकी जुबान में ही बैठा है ..
पूरा चिकित्सालय खानापूर्ति तक
पूरा चिकित्सालय खानापूर्ति तक ही सिमट चुका है ..बस नाममात्र का पशु चिकित्सालय बचा है ..चिकित्सालय कि अंदर धूल में सना एक कंप्यूटर रखा है ,जो बिना बोले बहुत कुछ कह रहा है ..पूरी तरह से शोपीस बने इस कंप्यूटर कि सामने बैठने तक की जगह नहीं है ..तब आप समझ सकते हैं कि इसका कितना उपयोग लिया जाता होगा ..प्रश्न यह उठता है कि जब इस चिकित्सालय का वास्तविक उद्द्देश्य ही पूरा नहीं हो पा रहा है ,ऐसे में कंप्यूटर की उपलब्धता और उपयोगिता अपने आप में प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है ..
आम जनमानस की यही अपील है कि लगभग पूरी तरह से जर्जर हो चुके इस पशु चिकित्सालय को नयी इमारत में शिफ्ट किया जाए और कम से कम इतने स्टाफ की उपलब्धता करायी जाए जिससे ग्रामीण लोगो की परेशानियों का आसानी से निदान हो सके ..
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