चित्रकूट विद्वानों ने शोध परक आलेखों के माध्यम से कार्यशाला से संबंधित विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला । कार्यशाला में समाज कार्य विभाग के प्रभारी डॉ मनीष कुमार ने जगदगुरु रामभद्राचार्य जी के योगदान को उल्लिखित करते हुए उनकी रचनाओं को अत्यंत प्रासंगिक बताया तथा उनकी रचनाओं को ब्रेल लिपि में अनुवाद को उपलब्ध कराने पर जोर दिया ।
भाषा संकाय की अधिष्ठाता डॉ किरण त्रिपाठी ने जगदगुरु रामभद्राचार्य जी के व्यक्तित्व की तुलना आदि कवि वाल्मीकि एवं तुलसी से की तथा उनके अरुंधति महाकाव्य में योगदान को अविस्मरणीयबताया शिक्षा संकाय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नीतू तिवारी ने जगदगुरु रामभद्राचार्य जी के संयुक्त राष्ट्र संघ में दिए गए उद्बोधन को वर्णित करते हुए उनके अंतरराष्ट्रीय व्यक्तित्व की चर्चा की।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के निजी सचिव रमापति मिश्र ने जगदगुरु जी की नियमित कार्य शैली , दृढ़ इच्छाशक्ति एवं उत्कृष्ट जीवन मूल्य पर विस्तार से प्रकाश डाला ।मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ अमिता त्रिपाठी ने गुरु जी के व्यक्तित्व में मनोवैज्ञानिक पहलुओं कोअत्यंत सरलता से प्रस्तुत किया ।इतिहास विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ प्रतिमा कुमारीशुक्ला ने जगदगुरु की जी की रचना में व्याकरण तत्वों का विश्लेषण प्रस्तुत किया। अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष डॉ शशिकांत त्रिपाठी जी ने 21वीं सदी में जगदगुरु जी के काव्य की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला ।
कार्यशाला में शिक्षा संकाय के अधिष्ठाता डॉ निहार रंजन मिश्रा ,शिक्षा विभाग अध्यक्ष डॉ रजनीश कुमार सिंह ,सहायक निदेशक, डॉ विश्वेश दुबे डॉ रमा सोनी डॉ, पवन कुमार दुबे, डॉ अजय कुमार पांडेय, डॉ पूजा देवी, डा मुकुंद मोहन पांडेय, डॉ आनंद कुमार सहित विश्वविद्यालय के समस्त शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे । कार्य शाला का सफल संचालन शिक्षा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ दुर्गेश कुमार मिश्र ने किया।