April 18, 2025 6:54 am

चित्रकूट धाम: ब्रह्मांड का अद्भुत तीर्थ, मोक्ष का द्वार

चित्रकूट धाम भारतीय संस्कृति और आस्था का एक ऐसा पवित्र स्थल है, जिसका उल्लेख सतयुग से लेकर कलियुग तक की कथाओं में मिलता है। इसे ब्रह्मांड के भूमंडल का सबसे बड़ा तीर्थ माना गया है। 

सतयुग से लेकर द्वापर तक का अद्भुत इतिहास

पुराणों के अनुसार, सतयुग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश स्वयं चित्रकूट आए थे। माता सती ने इन्हें बालक रूप में दर्शन दिए थे। त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने 11 वर्ष, 11 महीने, और 11 दिन वनवास के दौरान अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहीं निवास किया। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण जब मथुरा से शिक्षा ग्रहण करने के लिए उज्जैन जा रहे थे, तब उन्होंने भी 11.30 दिन चित्रकूट में प्रवास किया। महाकुंभ 2025: मोक्ष का पर्व

इस बार प्रयागराज में 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। यह पवित्र स्नान का ऐसा पर्व है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि कुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

चित्रकूट में राघव प्रयाग की विशेषता

चित्रकूट के भागवताचार्य नवलेश दीक्षित महाराज के अनुसार, प्रयागराज में जब कुंभ का आयोजन होता है, तो भक्त वहां स्नान कर अपने पापों का क्षय करते हैं। इस कारण प्रयागराज का जल काला पड़ जाता है। इसके बाद माघ पूर्णिमा पर राघव प्रयाग चित्रकूट में स्नान करते हैं और जल को स्वच्छ कर पुनः धवल बनाते हैं। 


चित्रकूट न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अद्वितीय है। रामघाट, जहां राघव प्रयाग है, हर श्रद्धालु के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यही कारण है कि यह स्थल पूरे भूमंडल में अद्वितीय महत्व रखता है। 

चित्रकूट जहां भगवान स्वयं भी आते हैं

यहां की मान्यता है कि चित्रकूट धाम का दर्शन और स्नान करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि मनुष्य को मोक्ष का अद्वितीय मार्ग भी प्राप्त होता है। यही कारण है कि इसे ब्रह्मांड का सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है।

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