

धर्म नगरी चित्रकूट प्रभु श्री राम की तपोस्थली रही है. यह वही पवित्र भूमि है जहाँ भगवान श्री राम ने अपने वनवास काल के साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे. इस स्थान से गोस्वामी तुलसीदास जी का भी गहरा नाता रहा है, क्योंकि यहाँ उन्हें प्रभु श्री राम के दर्शन हुए थे.
बता दे कि चित्रकूट की धार्मिक और ऐतिहासिक गाथा में गोस्वामी तुलसीदास जी का योगदान अनमोल है.उन्होंने अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से न केवल श्री राम के जीवन को लोगों के बीच प्रसारित किया, बल्कि इस भूमि को विश्वभर में प्रसिद्ध किया.चित्रकूट के एक प्रसिद्ध स्थल रामघाट पर स्थित ‘तोता मुखी हनुमान मंदिर’ में एक खास धार्मिक धरोहर आज भी मौजूद है. इस मंदिर में गोस्वामी तुलसीदास जी की खड़ाऊं आज भी श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखी गई है.यह वही खड़ाऊं है जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने पांवों में पहना करते थे.जिसके दर्शन के लिए भक्त दूर दूर से आते है.
वही मंदिर के पुजारी मोहित दास ने पेट्रोल न्यूज़ से जानकारी देते हुए बताया कि यह खड़ाऊ गोस्वामी तुलसीदास जी की है.समय के साथ यह खड़ाऊं पुरानी हो गई थी,लेकिन इसे संरक्षण के तौर पर अब केमिकल डाले गए हैं ताकि इसकी संरचना और महत्व बरकरार रहे.यह खड़ाऊं आज भी मंदिर में रखी गई है, जिसे श्रद्धालु दूर-दूर से देखने आते हैं.इस खड़ाऊं को देखकर भक्तों को गोस्वामी तुलसीदास जी की तपस्या और उनके प्रभु श्री राम के प्रति अटूट श्रद्धा की याद दिलाती है.उन्होंने आगे की जानकारी में बताया कि तोता मुखी हनुमान मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्वता के लिए प्रसिद्ध है,