

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट बुधवार को एक ऐतिहासिक मुलाकात की साक्षी बनी। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी अपनी पत्नी सुनीता द्विवेदी के साथ चित्रकूट पहुंचे और जगद्गुरु रामभद्राचार्य से आशीर्वाद प्राप्त किया। लगभग 5 घंटे तक उन्होंने चित्रकूट धाम में समय बिताया। इस दौरान आध्यात्मिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी कई महत्वपूर्ण चर्चाएं भी हुईं।
सेना प्रमुख ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य से औपचारिक रूप से गुरु दीक्षा ली। सूत्रों के मुताबिक, इस दीक्षा के दौरान ऐसी बातें सामने आईं जो आने वाले समय में देश की दिशा और दशा को प्रभावित कर सकती हैं। बताया जा रहा है कि गुरु दक्षिणा के रूप में रामभद्राचार्य ने जो मांग रखी, वह पूरे देश की चेतना को झकझोरने वाली थी।
गुरु रामभद्राचार्य ने सेना प्रमुख से कहा, “तुम शस्त्र से लड़ो, मैं शास्त्र से। गुरु दक्षिणा में मुझे पीओके चाहिए।” सूत्रों का कहना है कि यह बात बेहद गंभीर और गहन अर्थों से भरी हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है जब आतंक के अड्डों को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर भारत माता का ध्वज पीओके में लहराया जाए।
इस मुलाकात के दौरान सेना प्रमुख ने भी पूरे आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर” को पूरे देश से भरपूर समर्थन मिला है। इससे भारतीय सेना का मनोबल कई गुना बढ़ा है और यह अभियान पूरी तरह से सफल रहा है। उन्होंने यह भी संकेत दिए कि आने वाले समय में और भी निर्णायक कदम उठाए जा सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, रामभद्राचार्य ने इस मौके पर कहा, “ये सिर्फ सैन्य लड़ाई नहीं है, ये धर्म और राष्ट्र की रक्षा का युद्ध है।” उन्होंने सेना प्रमुख को यह संदेश दिया कि यह युद्ध न केवल सीमाओं का है, बल्कि भारत की आत्मा और अखंडता का भी है।
चित्रकूट की यह मुलाकात महज एक आध्यात्मिक दर्शन नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा, संस्कृति और अखंडता के लिए एक नई चेतना का सूत्रपात मानी जा रही है। जहां एक ओर धर्म का प्रतिनिधि शास्त्र लेकर खड़ा है, वहीं सेना प्रमुख शस्त्र के साथ देश की सीमाओं की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध हैं।