रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं. अमेरिकी राजनीतिक इतिहास में डोनाल्ड ट्रंप दूसरे ऐसे शख्सियत हैं जो राजनीतिक सत्ता से बेदखली के बाद पुनः एक बार चुनाव जीतने और दोबारा राष्ट्रपति बनने में कामयाब हुए. ट्रंप की चुनावी जीत के कई राजनीतिक और वैश्विक मायने हैं. अमेरिका की घरेलू राजनीति और आंतरिक अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और कूटनीति की चाल से लेकर वैश्विक राजनीति में इसके प्रभाव पड़ेंगे. भारत और अमेरिका के बीच राजनीतिक संबंधों के लिए भी यह महत्वपूर्ण है. ट्रंप ने चुनाव में “अमेरिकी ड्रीम” का सपना दिखाया उसका राजनीतिक संदेश और स्वीकार्यता अमेरिकी लोगों में देखने को मिली. जिसका उन्हें कड़े और चुनौती पूर्ण मुकाबले में लाभ मिला. यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना आवश्यक है.
कैसे बढ़ती गई डोनाल्ड ट्रंप की लोकप्रियता
डोनाल्ड ट्रंप ने 301 इलेक्टोरल वोट प्राप्त किया है.यह इसलिए भी अहमहै कि क्योंकि पिछले राष्ट्रपति चुनाव 2020 में उन्हें मात्र 232 इलेक्टोरल वोट ही प्राप्त हुए थे. इस बड़ी चुनावी उछाल और जीत का एक कारण उन राज्यों में ट्रंप की जीत है जो आमतौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी के गढ़ माने जाते हैं. 2020 की तुलना में इस बार ट्रंप ने जॉर्जिया में 16, पेंसिल्वेनिया में 20 और विस्कॉन्सिन में 10 इलेक्टरल वोट प्राप्त किया. इसके अलावा एरीजोना, मिशीगन और नवादा में भी उन्हें जीत मिली. पिछले चुनाव में ट्रंप इन सभी राज्यों में हारे थे. विशेष कर नेवाडा तो वे 2016 के चुनाव में भी जीत नहीं पाए थे.
कुछ और आंकड़ों की बात करें तो 2016 के चुनाव में हिलेरी क्लिंटन लोकप्रिय मतों में ट्रंप से दो प्रतिशत आगे थीं लेकिन इलेक्टरल वोटों में उनसे पिछड़ गईं. 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के लोकप्रिय मतों में सिर्फ आधा प्रतिशत गिरावट हुई लेकिन उनकी इलेक्टरल वोटो की संख्या 232 तक गिर गई. आंकड़ों का जिक्र इसलिए जरूरी है ताकि समझा जा सके कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में रिपब्लिकन पार्टी ने 1988 के बाद सबसे अधिक लोकप्रिय मत प्राप्त किए हैं. इस बार उन्हे लगभग 51% पॉपुलर वोट प्राप्त हुए. वहीं कमला हैरिस को प्राप्त 47% का वोट शेयर 1992 के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी का न्यूनतम है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की एक खास बात है कि लोकप्रिय मतों की अधिक संख्या के बावजूद भी यदि आप इलेक्टरल वोटो में पिछड़ गए तो आप चुनाव हार जाते हैं. अगर हम नतीजे को देखें तो डोनाल्ड ट्रंप पॉपुलर वोट और इलेक्टोरल वोट दोनों में विजयी रहे जो उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता का प्रमाण है. इसका स्पष्ट संदेश है कि व्यक्तिगत लोकप्रियता के मामले में ट्रंप आगे निकल गए और दोनों मतों में उनके और कमला हैरिस के बीच एक बड़ा अंतर नजर आया. एक और आंकड़े पर नजर डालें तो 20 में से 19 राज्यों में जहां पर डेमोक्रेटिक पार्टी ने 2020 में जीत दर्ज की थी, वहां भी ट्रंप का वोट प्रतिशत बढ़ा है. इसके अलावा ट्रंप ने रिपब्लिक पार्टी के गढ़ क्षेत्र में अपना जीत का अंतर बढ़ाया है. जाहिर इस चुनाव में उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता अपने चरम पर थी और इसका उन्हें राजनीतिक लाभ हुआ.
ब्लैक वोटर्स और युवाओं में पैठ
ट्रंप की इस जीत में इस बार गैर श्वेत वोटरों का सहयोग भी अभूतपूर्व है. 2020 के चुनाव में जो बिडेन ट्रंप के खिलाफ एक सामाजिक समावेशी प्रयोग करने में सफल रहे थे लेकिन इस बार के चुनाव में ऐसा नहीं दिखा. AP VoteCast Survey के आंकड़ों के अनुसार गैर श्वेत वोटरों, विशेष कर प्रारंभिक वार्डरोब में ट्रंप के प्रति एक उत्साह दिखा. व्हाइट लोगों में जहां दोनों पार्टियों के बीच एक बराबर का विभाजन दिखा तो वहीं नॉन व्हाइट लोगों ने पिछली बार के 35% की तुलना में इस बार 41% ने ट्रंप के पक्ष में मतदान किया. Hispanic समूह के लोग भी ट्रंप के पक्ष में दिखे. ब्लैक वोटर भी 2020 में 8% की तुलना में 15% रिपब्लिकन पार्टी के पक्ष मे खड़े दिखे.
इसके अलावा एक खास बात जो देखने को मिली वह युवा मतदाताओं में ट्रंप के प्रति उत्साह और उम्मीद की भावना. 30 वर्ष से काम की उम्र के लोगों में पिछली बार 36% की तुलना में इस बार 47% ने रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप ट्रंप के पक्ष में मतदान किया. यह सभी आंकड़े इस चुनावी राजनीति में रिपब्लिकन पार्टी और डोनाल्ड ट्रंप के बढ़ते राजनीति ग्राफ और उनकी सामाजिक स्वीकारता का सबूत है.
भारत के नजरिये से कैसा है रिजल्ट
इस चुनावी जीत में डेमोक्रेटिक राज्यों में मिली सफलता ट्रंप की राजनीतिक स्वीकार्यता को और अधिक विश्वसनीय बनाती है. अगर हम मुद्दों की बात करें तो 39% वोटरों ने अर्थव्यवस्था को बड़ा चुनावी मुद्दा माना. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के चुनावी कैंपेन में आर्थिक मुद्दे प्रमुखता से छाए रहे जिसका उन्हें लाभ हुआ. अमेरिकन ड्रीम का उनका विजन अमेरिका के आर्थिक पुनरुत्थान और अमेरिकी लोगों के रोजगार, समृद्धि और और सामाजिक स्वरूप से जुड़ा रहा जिसे आम लोगों पर असर हुआ. वहीं, डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख मुद्दे जैसे कि महिला अधिकार और गर्भपात, स्वास्थ्य सुरक्षा और नस्ल भेद आम लोगों को प्रभावित करने में असफल रहे.
डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी जीत पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनको फोन कर बधाई दी और साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई है. ट्रंप की जीत कई मायने में भारत के लिए अहम है. आर्थिक दृष्टि से देखें तो दोनों देशों के बीच मैन्युफैक्चरिंग और डिफेंस सेक्टर में तेजी आ सकती है. अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग और सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने पर उनका ध्यान है. ऐसे में यह भारत डायनेमिक्स और एचएएल जैसी भारतीय रक्षा कंपनियों के लिए बेहतर हो सकता हैय. ट्रंप के पिछले कार्यकाल में भारत-अमेरिका के बीच कूटनीतिक और राजनयिक मोर्चे पर संबंध प्रगाढ़ हुए थे. ऐसे में इस बार भी उसकी उम्मीद की जा सकती है. खासकर कनाडा से संबंधों को देखते हुए यह बहुत अहम होगा. हालांकि ट्रंप पहले टैरिफ का जिक्र करते रहे हैं. ऐसे में इस बार इस मुद्दे पर उनका रुख देखने वाला होगा.
अभिषेक प्रताप सिंह
अभिषेक प्रताप सिंह दिल्ली यूनिवर्सिटी के देशबंधु कॉलेज में ‘वैश्विक राजनीति’ पढ़ाते हैं. पश्चिम एशियाई मामलों पर उनकी विशेष पकड़ है. अभिषेक से apsinghvisen@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.