
डॉ. चंद्रिका प्रसाद चंद्र: बघेली साहित्य के एक सशक्त हस्ताक्षर
मऊगंज/रीवा। मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी संस्कृति परिषद की ओर से वर्ष 2022-23 के साहित्य पुरस्कारों की घोषणा की गई है, जिसमें रीवा जिले के दो प्रतिष्ठित साहित्यकारों को सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार न केवल जिले के साहित्य जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि मऊगंज के लिए भी एक गर्व का विषय है, क्योंकि इस बार बघेली साहित्य के प्रसिद्ध लेखक डॉ. चंद्रिका प्रसाद चंद्र को विशेष रूप से सम्मानित किया गया है।
साहित्य अकादमी पुरस्कार से जिले का नाम रोशन
इस बार साहित्य अकादमी ने वर्ष 2022-23 के पुरस्कारों की घोषणा में रीवा जिले के दो साहित्यकारों को सम्मानित किया। बघेली साहित्य के मंझे हुए लेखक डॉ. चंद्रिका प्रसाद चंद्र को उनके काव्य-संग्रह “रिश्तन केर निबाह” के लिए बघेली भाषा के “विश्वनाथ सिंह जूदेव स्मृति पुरस्कार” से नवाजा गया है। यह पुरस्कार बघेली साहित्य में उनके योगदान को समर्पित किया गया है और उनके लेखन की प्रभावी पहचान को मान्यता प्रदान की है।
डॉ. चंद्रिका प्रसाद चंद्र: बघेली साहित्य के जीवंत दूत

ग्राम-गौरी (हनुमना) में जन्मे डॉ. चंद्रिका प्रसाद चंद्र बघेली साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। वे कई दशकों से बघेली भाषा में साहित्यिक रचनाएं प्रस्तुत कर रहे हैं। उनके द्वारा रचित प्रमुख कृतियों में “थोर का सुक्ख” (बघेली कहानी संग्रह), “लोकायन”, “कुछ अपनी बाकी दुनिया की”, “लोक के आलोक में”, “लोक, शास्त्र और समाज”, “का कही का ना कही”, “संतो! घर में झगड़ा भारी” (निबंध संग्रह) और “इतिहास और वर्तमान से संवाद” (निबंध संग्रह) शामिल हैं। उनके कार्यों ने बघेली भाषा को नए आयाम दिए हैं और उनके लेखन ने क्षेत्रीय साहित्य में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।
विवेक द्विवेदी को मिला सुभद्र कुमारी चौहान पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार में रीवा जिले के दूसरे साहित्यकार डॉ. विवेक द्विवेदी को भी सम्मानित किया गया। उन्हें उनके कहानी संग्रह ‘अलविदा काबेरी’ के लिए सुभद्र कुमारी चौहान पुरस्कार से नवाजा गया। इस पुरस्कार के साथ उन्हें 51 हजार रुपए और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। डॉ. द्विवेदी के पास करीब डेढ़ दर्जन से अधिक उपन्यास और कहानी संग्रह हैं, और उनकी कृतियाँ राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरस्कृत हो चुकी हैं।
मऊगंज का मान बढ़ा, पूरे जिले में खुशी की लहर
यह पुरस्कार मऊगंज और पूरे जिले के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि डॉ. चंद्रिका प्रसाद चंद्र का यह सम्मान मऊगंज क्षेत्र के लिए पहली बार आया है। साहित्यिक कृतियों के लिए प्रदेश स्तर पर यह एक महत्वपूर्ण पहचान है, जो न केवल मऊगंज, बल्कि रीवा जिले के साहित्य प्रेमियों के लिए भी गौरव की बात है।
साहित्यकारों और समाजसेवियों ने दी बधाई
साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने के बाद, जिले के साहित्यकारों, समाजसेवियों और साहित्य प्रेमियों ने खुशी जाहिर की है। प्रो. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी (पूर्व कुलपति, इंदौर), एड. घनश्याम सिंह, प्रमोद वत्स, राजकुमार शुक्ला, वीरेन्द्र सिंह, सेवाराम त्रिपाठी, लालजी गौतम, लेखक जयराम शुक्ल, ओमप्रकाश मिश्रा, संतोष अवधिया, चंद्रकांत तिवारी, शिवानंद तिवारी, रंजना मिश्रा, रामनरेश तिवारी निष्ठुर, अनुराग मिश्रा, योगेश त्रिपाठी सहित अनेक समाजसेवियों और साहित्यकारों ने इस ऐतिहासिक सम्मान पर बधाई दी है।
यह पुरस्कार रीवा व मऊगंज जिले के साहित्य जगत को एक नई दिशा देने का प्रतीक बन चुका है और भविष्य में और अधिक साहित्यकारों को प्रेरित करेगा।