ग्रामोदय विश्वविद्यालय में कर्मयोगी विषय पर कार्यशाला और विचार मंथन सत्र सम्पन्न

नाना जी देशमुख कर्मयोगी थे : प्रो भरत मिश्रा, कुलगुरु

आज महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के वाल्मीकि सभागार में बी ऐ कर्मयोगी विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला और संगोष्ठी पूर्व  विचार मंथन सत्र का संपन्न हुआ। प्रदेश के महामहिम राज्यपाल और शासकीय विश्वविद्यालयो के कुलाधिपति श्री मंगु भाई पटेल के मार्गदर्शन  तथा ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो भरत मिश्रा के संरक्षकत्व में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में विद्वत जनों द्वारा विचार मंथन कर अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किये गए ।


इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलगुरु प्रो भरत मिश्रा ने  भारत रत्न राष्ट्र ऋषि नाना जी देशमुख को कर्मयोगी निरूपित करते हुए आवाहन किया कि नाना जी के आदर्शों के अनुसार चले । उन्होंने कहा कि हर वह व्यक्ति कर्मयोगी हैं, जो अपने जीवन के सारे कार्य स्वयं कर रहा है। उन्होंने कहा कि निःस्वार्थ भाव से सामाजिक कार्य करना चाहिए। स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्राम विकास आदि कार्यों को अपने जीवन का लक्ष्य बनाना चाहिए। प्रो मिश्रा ने कर्म के साथ योग को अपनाने की सलाह दी। कार्यक्रम का संयोजन कर रहे विज्ञान और पर्यावरण संकाय के अधिष्ठाता प्रो एस के चतुर्वेदी ने कार्यक्रम के उद्देश्य और औचित्य पर प्रकाश डाला।


कीनोट स्पीकर और ग्रामीण विकास और व्यवसाय प्रबंध संकाय के अधिष्ठाता प्रो अमर जीत सिंह ने कहा कि व्यक्ति का अच्छा व्यवहार ही कर्मयोगी की दिशा सुनिश्चित करता है। उन्होंने राम और रावण के कर्मों का उल्लेख करते हुए उदाहरण प्रस्तुत किया।


कीनोट स्पीकर और मानविकी, सामाजिक विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ नीलम चौरे ने कहा अपने दायित्व कर्म को ईमानदारी के 

साथ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आध्यात्म हमारे जीवन को अनुशासित रखने  के साथ साथ नियमानुसार जीवन जीने की शिक्षा भी देता है।


विचार मंथन सत्र में कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो नन्द लाल मिश्रा ने कर्मयोगी अधिगम चरणों की चर्चा करते हुए मनोवैज्ञानिक आवश्य

कता, प्रेम एवं संबंध, सुरक्षा, आत्म सम्मान और आत्म बोध का उल्लेख किया। कीनोट स्पीकर और प्रोद्योगिकी संकाय अधिष्ठाता डॉ आञ्जनेय पाण्डेय, प्रो एच एस कुशवाहा,  डॉ गिरधर माथनकर और विभाष चंद्र आदि ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर ग्रामोदय विश्वविद्यालय के संकायों के अधिष्ठाता गण, निदेशक, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शोधार्थी और छात्र छात्राओं ने सहभागिता की।

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