Rewa। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जनता की समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए प्रशासनिक लापरवाही पर सख्त कदम उठाए हैं। शनिवार को आयोजित समाधान ऑनलाइन कार्यक्रम में सीएम ने दो अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए एक को निलंबित और दूसरे की सेवा समाप्त करने का आदेश दिया। यह कार्रवाई “गांव की बेटी योजना” में हुई देरी की शिकायत पर की गई। मुख्यमंत्री की इस कार्रवाई ने प्रशासनिक तंत्र में हलचल मचा दी है।
शिकायत पर तुरंत एक्शन
कार्यक्रम में रीवा जिले की छात्रा शीतल तिवारी ने “गांव की बेटी योजना” के तहत मिलने वाली राशि न मिलने की शिकायत दर्ज कराई। छात्रा ने बताया कि योजना के तहत मिलने वाली सहायता राशि का इंतजार वह लंबे समय से कर रही थी, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण उसे इसका लाभ नहीं मिला। मुख्यमंत्री ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तुरंत संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा।
दो अधिकारियों पर गिरी गाज
- डॉ. राजवती दीपांकर (प्रभारी प्राचार्य, शासकीय महाविद्यालय मनगवां):
- योजनाओं में लापरवाही के लिए प्रथम दोषी पाए जाने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया।
- डॉ. जागेंद्र सिंह (योजना प्रभारी):
- योजना के क्रियान्वयन में लगातार अनदेखी के चलते मुख्यमंत्री ने उनकी सेवा समाप्त करने का आदेश दिया।
मुख्यमंत्री का कड़ा संदेश
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा,
“यह सरकार जनता की भलाई के लिए है। योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक समय पर पहुंचे, यह सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है। लापरवाही करने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।”
उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि जनता के हितों के साथ खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जनता और परिवार ने की सराहना
मुख्यमंत्री की त्वरित कार्रवाई पर शीतल तिवारी और उसके परिवार ने आभार व्यक्त किया। परिवार ने कहा कि मुख्यमंत्री की तत्परता ने यह साबित कर दिया कि सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है। ग्रामीणों ने भी इस कदम को प्रशासन में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण बताया।
प्रशासन में बढ़ी सतर्कता
मुख्यमंत्री की इस कार्रवाई के बाद रीवा और आसपास के जिलों में अधिकारियों और कर्मचारियों में सतर्कता बढ़ गई है। सीएम का सख्त रुख यह संकेत देता है कि योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मुख्यमंत्री का यह कदम प्रशासनिक जवाबदेही को मजबूत करने और जनता के विश्वास को बनाए रखने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।