भोपाल,MP। भाजपा ने मध्य प्रदेश में जिलाध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है। एक-दो दिनों में नई सूची जारी होने की संभावना है। इस बार पार्टी ने जिलाध्यक्षों के चयन में कई नए मानदंड तय किए हैं। इनमें सबसे अहम फैसला यह है कि जिन जिलों में महिला सांसद या महापौर हैं, वहां महिला नेत्रियों को जिलाध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा। पार्टी का फोकस सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण साधने के साथ युवा और अनुभवी नेतृत्व पर है।
महिला नेतृत्व को सीमित भूमिका
पार्टी ने निर्णय लिया है कि प्रदेश के केवल चार से पांच जिलों में महिलाओं को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी। यह जिम्मेदारी ज्यादातर बड़े शहरों या प्रमुख जिलों में सौंपी जा सकती है। हालांकि, जिलाध्यक्षों के नामों के पैनल में महिलाओं को अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है, लेकिन उनका चयन महिला सांसद या महापौर वाले जिलों में नहीं होगा।
सामाजिक समीकरणों का ध्यान
भाजपा ने जिलाध्यक्षों के चयन में सामाजिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया है।
- आदिवासी जिलों में: गैर-आदिवासी जिलाध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे।
- एससी और ओबीसी वर्ग: इन वर्गों को भी उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
- क्षेत्रीय समीकरण: यह सुनिश्चित किया गया है कि एक जिले का चयन अन्य जिलों के समीकरण को प्रभावित न करे।
आर्थिक और आपराधिक पृष्ठभूमि वालों की छंटनी
भाजपा ने इस बार आर्थिक और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को पैनल से बाहर कर दिया है। जिन नामों पर सांसदों और विधायकों ने विरोध जताया है, उन्हें भी सूची से हटा दिया गया है।
उम्र सीमा और अनुभव पर जोर
पार्टी ने जिलाध्यक्ष पद के लिए अधिकतम आयु 60 वर्ष निर्धारित की है। हालांकि, सूची में 45 से 50 वर्ष आयु वर्ग के नेताओं को प्राथमिकता दी जा रही है। पार्टी का फोकस युवा और ऊर्जावान नेतृत्व पर है, जो अनुभव के साथ संगठन को मजबूत कर सके।
केंद्रीय नेतृत्व से मंजूरी बाकी
भाजपा ने जिलाध्यक्षों के लिए नामों का पैनल तैयार कर लिया है। अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व से स्वीकृति मिलने के बाद लिया जाएगा। पार्टी ने सुनिश्चित किया है कि पैनल में एससी वर्ग का एक नाम भी शामिल हो।
एकजुटता और संगठन पर फोकस
भाजपा ने जिलाध्यक्षों के चयन में संगठन की एकजुटता और कार्यशैली को प्राथमिकता दी है। जिन नामों पर स्थानीय स्तर पर विरोध या असहमति थी, उन्हें पहले ही सूची से बाहर कर दिया गया है।
सूची का इंतजार
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी की नई सूची में कौन-कौन से चेहरे सामने आते हैं। भाजपा के इस फैसले से पार्टी में सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को लेकर नई रणनीति देखने को मिलेगी।