प्रयागराज Mahakumbh। महाकुंभ 2025 की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। पवित्र संगम नगरी प्रयागराज में पहले शाही स्नान की तिथि नजदीक आते ही श्रद्धालुओं और संत-महंतों का आगमन तेज हो गया है। चित्रकूट के साधु-संतों ने भी प्रयागराज की ओर रुख कर लिया है।
फलाहारी आश्रम के संतों का जत्था रवाना
चित्रकूट स्थित फलाहारी आश्रम के संत रामप्यारी दास महाराज की अगुवाई में साधुओं का एक बड़ा दल आज प्रयागराज के लिए रवाना हुआ। उन्होंने कहा, “महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और महान आयोजन है। इसमें स्नान करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।”
धर्म और संस्कृति का संगम
चित्रकूट के संतों का कहना है कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का अद्वितीय संगम है। यहां विश्वभर से आने वाले श्रद्धालु भारत की आध्यात्मिक पहचान को नजदीक से अनुभव करते हैं।
पहले शाही स्नान का महत्व
पहला शाही स्नान हिंदू धर्मावलंबियों के लिए विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र संगम में डुबकी लगाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति ईश्वर की शरण में पहुंचता है।
प्रशासन की तैयारी पूरी
महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है। प्रशासन ने सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात व्यवस्था के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। गंगा किनारे शिविर लगाए गए हैं और हर श्रद्धालु को उचित सुविधा देने की योजना बनाई गई है।
महाकुंभ: आध्यात्मिकता और आस्था का पर्व
महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित होने वाला ऐसा आयोजन है, जो पूरे विश्व को भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक शक्ति का परिचय कराता है। संतों का कहना है कि इस महायज्ञ में भाग लेकर हर व्यक्ति को आत्मिक शांति और दिव्यता का अनुभव होता है।
प्रयागराज की ओर बढ़ते साधु-संतों के इस कारवां ने न केवल धार्मिक उत्साह को बढ़ाया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि भारतीय परंपरा और संस्कृति कितनी समृद्ध और गहन है।