Mauganj: स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत के आरोप ?

मऊगंज – मिली जानकारी के अनुसार नियम-कानून ताक पर रखकर गहरवार नर्सिंग होम में बिना फार्मासिस्ट के धड़ल्ले से दवा बेची जा रही है? मरीजों की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सब जानते हुए भी आंखें मूंदे बैठे हैं। दवा दुकान संचालन के लिए स्पष्ट नियम हैं कि बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के किसी भी दवा दुकान को संचालित नहीं किया जा सकता, लेकिन आरोप है कि यहां तो नियमों को ताक पर रखकर मनमर्जी से दुकान चलाई जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग की साठगांठ या लापरवाही?
गहरवार नर्सिंग होम में चल रही इस अवैध दवा दुकान को लेकर सवाल उठना लाजिमी है कि बिना फार्मासिस्ट के यह दुकान आखिर कब से चल रही है और इसके पीछे कौन-कौन जिम्मेदार हैं? सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है। हर साल मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस की जांच होती है, लेकिन इस अस्पताल में बिना जांच-पड़ताल के ही दुकान चल रही है, जिससे साफ जाहिर होता है कि अधिकारियों को ‘ऊपर से नीचे तक’ पूरा फायदा पहुंचाया जा रहा है।
बिना फार्मासिस्ट दवा बेचना गैर-कानूनी, जानिए क्या हैं नियम
भारत में दवा की दुकान संचालित करने के लिए ‘फार्मेसी एक्ट 1948’ और ‘ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940’ के तहत सख्त नियम बनाए गए हैं। इसके तहत—
- हर दवा दुकान में एक पंजीकृत फार्मासिस्ट का होना अनिवार्य है।
- बिना योग्य फार्मासिस्ट के किसी भी दुकान में दवा बेचना अपराध है, जिससे मरीजों की जान को खतरा हो सकता है।
- संवेदनशील दवाओं (एंटीबायोटिक्स, पेनकिलर, स्टेरॉयड, सिडेटिव आदि) को देने से पहले डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन की आवश्यकता होती है।
मरीजों की जान से खिलवाड़, कौन लेगा जिम्मेदारी?
गहरवार नर्सिंग होम में बिना फार्मासिस्ट के दवा बेचे जाने का सीधा मतलब है कि मरीजों को गलत दवा दी जा सकती है, जिससे गंभीर दुष्प्रभाव (Side Effects) या जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर किसी मरीज की जान गई तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा—नर्सिंग होम, दवा विक्रेता या स्वास्थ्य विभाग?
प्रशासन कब जागेगा?
जब तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं होती, तब तक प्रशासन आंखें मूंदे बैठा रहता है। सवाल यह है कि क्या स्वास्थ्य विभाग अब भी कार्रवाई करेगा या अपनी जेबें भरकर मामला रफा-दफा कर देगा? क्या मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों पर कोई सख्त कार्रवाई होगी, या फिर यह ‘मधुर संबंधों’ के चलते यूं ही चलता रहेगा? अगर जल्द ही जांच कर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह साफ होगा कि प्रशासन भी इस गोरखधंधे का हिस्सा है।