January 10, 2025 8:01 am

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Mauganj:पत्रकारों के धरने के सामने मऊगंज में अधिकारियों की फौज जुटी, ज्ञापन लेकर आंदोलन समाप्त करने की अपील

 

Mauganj, 9 जनवरी:
मऊगंज में पत्रकारों द्वारा आयोजित ऐतिहासिक धरना प्रदर्शन के सामने आखिरकार प्रशासन को झुकना पड़ा। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज़ इतनी बुलंद हुई कि जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी—कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, एसडीएम, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने धरना स्थल पर पहुंचकर ज्ञापन लिया और धरना समाप्त करने का अनुरोध किया।

मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रांताध्यक्ष शलभ भदौरिया की पहल पर मऊगंज कलेक्टर कार्यालय के सामने श्रमजीवी पत्रकार संघ की जिला इकाई ने एक ऐतिहासिक धरना प्रदर्शन किया। पत्रकारों के इस आंदोलन को राजनीतिक, सामाजिक और अधिवक्ता संगठनों का व्यापक समर्थन मिला। सुबह 11 बजे से शाम 6:30 बजे तक चला यह धरना, जिसमें बड़ी संख्या में पत्रकार साथी शामिल हुए। कलेक्टर मऊगंज अजय श्रीवास्तव और पुलिस अधीक्षक रसना ठाकुर ने मौके पर पहुंचकर पत्रकारों से चर्चा की। धरने के दौरान मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश सरकार के नाम 6 सूत्री मांग पत्र सौंपा गया। 

 

धरने की पृष्ठभूमि

मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ की मऊगंज जिला इकाई ने पत्रकारों की सुरक्षा, स्वतंत्रता और उनके कार्यक्षेत्र में सम्मान की मांग को लेकर यह प्रदर्शन किया। पत्रकारों ने अपने साथ हो रहे अन्याय और प्रशासनिक उपेक्षा के खिलाफ आवाज उठाई थी।

धरने का नेतृत्व कर रहे जिला अध्यक्ष आलोक शर्मा ने कहा:

“यह प्रदर्शन केवल पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि समाज में सच्चाई और न्याय की स्थापना के लिए है।”

प्रशासन का हस्तक्षेप

धरने की बढ़ती गूंज और सामाजिक-राजनीतिक समर्थन ने प्रशासन को सक्रिय होने पर मजबूर कर दिया। कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने धरना स्थल पर पहुंचकर पत्रकारों की मांगों को सुना और ज्ञापन लिया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सभी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।


मांग पत्र में शामिल प्रमुख बिंदु::

1. पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार और फर्जी मुकदमों पर रोक लगाई जाए। 

2. गृह मंत्रालय और एडीजी द्वारा दिए गए निर्देशों का जिले में पालन सुनिश्चित हो। 

3. मध्य प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग। 

4. मझगांव चित्रकूट और मऊगंज में पत्रकारों को परेशान करने की घटनाओं की निष्पक्ष जांच। 

5. पत्रकार अतुल मिश्रा पर लगाए गए फर्जी मुकदमे को खत्म किया जाए। 

6. छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर  के हत्यारों को फांसी दी जाए। 

 

नेताओं और संगठनों का समर्थन

धरने को मऊगंज के कई बड़े नेताओं और सामाजिक संगठनों का समर्थन मिला।

  • डॉ. आई.एम.पी. वर्मा (तीन बार विधायक):
    उन्होंने कहा, “पत्रकार समाज के आंख और कान हैं। उनकी स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है।”
  • ज्ञानेंद्र सिंह परिहार (पूर्व अधिवक्ता संघ अध्यक्ष):
    उन्होंने पत्रकारों के संघर्ष को लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक बताया।
  • शेख मुख्तार सिद्दीकी (जनपद सदस्य):
    उन्होंने इसे सिर्फ पत्रकारों की लड़ाई नहीं, बल्कि हर सच्चाई के पक्षधर व्यक्ति की लड़ाई बताया।
  •  
  • संतोष मिश्रा (सामाजिक कार्यकर्ता):
    उन्होंने कहा, “यह लड़ाई सिर्फ पत्रकारों की नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की है, जो सच्चाई और न्याय में विश्वास रखता है।”

धरने का प्रभाव

इस प्रदर्शन ने न केवल प्रशासन को मजबूर किया, बल्कि समाज के हर वर्ग को यह सोचने पर विवश किया कि स्वतंत्र पत्रकारिता की सुरक्षा कितनी जरूरी है।

आंदोलन समाप्त, लेकिन संघर्ष जारी

धरना समाप्त करने की प्रशासन की अपील को स्वीकार करते हुए मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ मऊगंज जिला इकाई ने कहा:

“हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाता। यह केवल एक शुरुआत है।”

मऊगंज से उठी आवाज़ पूरे प्रदेश में गूंजी

यह आंदोलन मऊगंज से शुरू होकर पूरे प्रदेश में पत्रकारिता के लिए एक नई प्रेरणा बन गया है। यह साबित करता है कि जब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता पर हमला होता है, तो समाज की सच्चाई और न्याय भी खतरे में पड़ जाता है।

“यह सिर्फ धरना नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम है।”आलोक शर्मा ,जिला अध्यक्ष, मऊगंज जिला इकाई

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