Mauganj News:

मऊगंज। जिले के पुलिस विभाग में लापरवाही और गैरजिम्मेदारी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक युवक की हत्या को आत्महत्या का रूप देकर मामला खत्म करने की कोशिश की गई। गनीमत रही कि एसडीओपी की सतर्कता से यह मामला उजागर हुआ और दोषियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हुई।
घटना का विवरण
6 अप्रैल की रात मऊगंज के वार्ड क्रमांक 10 निवासी रोहित गुप्ता (20 वर्ष) अपने घर में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया। अगले दिन सुबह उसके पिता बाबूलाल गुप्ता ने पुलिस को सूचना दी कि उनका बेटा फांसी के फंदे पर लटका मिला। पुलिस ने घटनास्थल का पंचनामा तैयार किया और शव का पोस्टमार्टम करवा कर परिजनों को सौंप दिया।
तत्कालीन थाना प्रभारी अनिल काकरे ने मामले की जांच एएसआई माने खान को सौंपी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डॉक्टर एसडी कोल ने स्पष्ट रूप से लिखा कि रोहित के शरीर पर मारपीट के निशान थे और गला दबाकर उसकी हत्या की गई थी। इसके बावजूद, एएसआई माने खान ने इस मामले को आत्महत्या बताते हुए फाइल बंद करने की अनुशंसा कर दी।
एसडीओपी की सतर्कता से खुली पोल
मामला जब एसडीओपी के पास पहुंचा, तो उन्होंने विवेचक की रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का गहन अध्ययन किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या के स्पष्ट संकेतों के बावजूद आत्महत्या का निष्कर्ष निकालने पर एसडीओपी ने नाराजगी जताई। उन्होंने तत्काल एएसआई माने खान से स्पष्टीकरण मांगा और मऊगंज थाना प्रभारी को अज्ञात आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया।
हत्या का मामला दर्ज
एसडीओपी के निर्देश पर मऊगंज थाना प्रभारी ने गुरुवार को रोहित गुप्ता की मौत के मामले में हत्या का अपराध दर्ज कर लिया। अब पुलिस इस मामले की नए सिरे से जांच कर रही है और दोषियों को जल्द पकड़ने का दावा कर रही है।
परिजनों में रोष
रोहित के पिता बाबूलाल गुप्ता ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “यदि एसडीओपी ने हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो मेरे बेटे की हत्या को आत्महत्या साबित कर दिया जाता। यह हमारे साथ न्याय का मजाक होता।”
पुलिस विभाग पर उठे सवाल
यह मामला पुलिस विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या यह महज एक लापरवाही थी, या फिर इसके पीछे किसी प्रकार की साजिश थी? एसडीओपी की सजगता से एक बड़ा अन्याय होते-होते बच गया, लेकिन इस घटना ने पुलिस विभाग की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आगे की कार्रवाई
पुलिस अब हत्या के इस मामले में सच्चाई का पता लगाने के लिए जांच कर रही है। वहीं, यह साफ नहीं हुआ है कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी या नहीं?
वहीं इस मामले में जब एसडीओपी मऊगंज से संपर्क करने की कोशिश की गई तो हमेशा की तरह उनका फोन नहीं उठा।
यह मामला इस बात का उदाहरण है कि पुलिस विभाग में सतर्कता और ईमानदारी कितनी जरूरी है। सूत्रों की माने तो यदि एसडीओपी ने मामले की गंभीरता को नहीं समझा होता, तो शायद यह मामला हमेशा के लिए दबा दिया जाता। पुलिस विभाग को अब अपनी छवि सुधारने और ऐसी लापरवाहियों से बचने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।