
मऊगंज में पुलिस प्रशासन ने एक बार फिर जनता की भावनाओं को ठेंगा दिखा दिया है! पहले भारी बवाल, भाजपा जिला उपाध्यक्ष से बदसलूकी और विवादों में घिरने के बाद लाइन अटैच हुए निरीक्षक राजेश पटेल को अब फिर से मऊगंज थाना प्रभारी बना दिया गया है। सवाल यह है कि क्या मऊगंज में पुलिसिंग की परिभाषा सिर्फ एक ही व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है?
यह “ट्रांसफर गेम” या फिर सत्ता का दबाव?
निरीक्षक राजेश पटेल की पहले की कार्यशैली किसी से छिपी नहीं है। मऊगंज थाना में रहते हुए उनके नाम पर भारी विवाद हुए, यहां तक कि भाजपा जिला उपाध्यक्ष से बदसलूकी तक की नौबत आ गई। इसी के चलते उन्हें लाइन अटैच किया गया था। लेकिन अब फिर से उसी पद पर उनकी वापसी यह बताने के लिए काफी है कि सिस्टम किसके इशारे पर काम कर रहा है।
क्या भाजपा विधायक खुद को घेरने का इंतजाम कर रहे हैं?
राजेश पटेल की पुनः नियुक्ति न सिर्फ जनता के लिए, बल्कि भाजपा विधायक के लिए भी सिरदर्द साबित हो सकती है। यह फैसला उनकी नेतृत्व क्षमता और संगठन की आंतरिक राजनीति पर सवाल खड़े कर रहा है। क्या यह ट्रांसफर विधायक जी की सहमति से हुआ, या फिर पार्टी संगठन को नजरअंदाज कर किसी और ताकत ने इसे लागू कराया?
पार्टी संगठन में बढ़ेगी अंदरूनी कलह?
इस फैसले से भाजपा संगठन में ही अंदरूनी खींचतान तेज हो सकती है। जब भाजपा जिला उपाध्यक्ष के साथ ही थाना प्रभारी का विवाद सामने आया था, तो पार्टी के कई नेताओं ने इस पर नाराजगी जताई थी। अब ऐसे में उसी थाना प्रभारी की वापसी भाजपा संगठन की छवि और उसकी एकजुटता पर गंभीर सवाल खड़े कर सकती है।
जनता के लिए संदेश – “जिससे परेशानी हो, वही बार-बार मिलेगा!”
इस नियुक्ति ने साफ कर दिया है कि जनता की राय का कोई मूल्य नहीं है। क्या मऊगंज में कोई और योग्य अधिकारी नहीं था जो एक निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कानून व्यवस्था संभाल सके? या फिर कुछ लोगों की ‘सुविधा’ के लिए ही यह खेल खेला गया है?
अब देखना यह होगा कि इस फैसले पर जनता और पार्टी कार्यकर्ता क्या प्रतिक्रिया देते हैं। क्या भाजपा विधायक इस पर कोई सफाई देंगे, या फिर हमेशा की तरह जनता को ‘वक्त’ के भरोसे छोड़ दिया जाएगा?