खजुराहो/छतरपुर। प्रधानमंत्री(PM) नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के खजुराहो में केन और बेतवा नदियों के जल का संगम कराया और दोनों नदियों को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना के शिलान्यास के साथ साथ ओंकारेश्वर में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट का लोकार्पण भी किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने 1153 अटल ग्राम सुशासन भवनों का भूमिपूजन भी किया। प्रधानमंत्री के इस ऐतिहासिक दौरे ने बुंदेलखंड क्षेत्र के जल संकट को हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
बुंदेलखंडी बोली से भाषण की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सभा की शुरुआत बुंदेलखंडी बोली में की। उन्होंने कहा, “वीरों की धरती बुंदेलखंड में रहबे वाले, सबई जनन को हमारी तरफ से हाथ जोड़कर राम-राम पहुंचे।” उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार के एक साल पूरे होने पर बधाई दी और कहा कि इस एक साल में मध्य प्रदेश में विकास को एक नई गति मिली है। पीएम ने आगे कहा कि आज हम यहाँ एक नई शुरुआत कर रहे हैं, जो लाखों लोगों के जीवन को बदलने वाली है।
सुशासन पर भरोसा जताते हुए पीएम का भाषण
प्रधानमंत्री मोदी ने सुशासन के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमारे लिए सुशासन दिवस केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह भाजपा सरकारों की पहचान है। देश की जनता ने तीसरी बार भाजपा को केंद्र में चुना है, और मध्य प्रदेश में भी यही भरोसा दिख रहा है।”
विकास में पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ने का दावा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह विद्वानों से आग्रह करते हैं कि वे यह आकलन करें कि आजादी के बाद किस सरकार ने सबसे ज्यादा काम किया है। “जब-जब भाजपा को सेवा का मौका मिला, हमने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़कर जनहित के कार्यों में सफलता पाई है,” मोदी ने यह कहते हुए दावा किया।
केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखंड का जल संकट होगा समाप्त
प्रधानमंत्री ने केन-बेतवा लिंक परियोजना को बुंदेलखंड के जल संकट को दूर करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा, “इस परियोजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 14 जिलों को फायदा मिलेगा। बुंदेलखंड में औद्योगिकीकरण और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।” पीएम ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश ऐसा पहला राज्य है, जहां नदियों को जोड़ने की दो परियोजनाएं चल रही हैं, और 21वीं सदी में वही देश आगे बढ़ेगा, जिसके पास पर्याप्त जल होगा।
सीएम डॉ. मोहन यादव का संदेश: पीएम मोदी आधुनिक भारत के भागीरथ
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को “आधुनिक भारत के भागीरथ” बताते हुए कहा, “आज का दिन भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक है। जैसा गंगा को धरती पर लाया गया था, वैसा ही मोदी जी ने नदियों को जोड़कर भारतीय जल संकट का समाधान किया है।”
उन्होंने बुंदेलखंड की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा, “जब भी सूखे की खबर आती थी, तो बुंदेलखंड का नाम सबसे पहले आता था। लेकिन आज, केन-बेतवा परियोजना से यह क्षेत्र एक नई दिशा की ओर बढ़ेगा।”
केन-बेतवा परियोजना: कैसे बदलने जा रही है बुंदेलखंड की तस्वीर?
केन-बेतवा लिंक परियोजना की विशेषताएं:
- दौधन बांध: पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई और 2.13 किलोमीटर लंबाई का दौधन बांध बनेगा।
- जल भंडारण: बांध में 2,853 मिलियन घन मीटर जल का भंडारण किया जाएगा।
- लिंक नहर: 221 किमी लंबी लिंक नहर के द्वारा 14 जिलों को लाभ मिलेगा।
- सिंचाई क्षेत्र: मध्य प्रदेश के 10 जिले—पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी, और दतिया—में 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी, जिससे लगभग 7 लाख किसान परिवारों को लाभ मिलेगा।
- उत्तर प्रदेश को लाभ: उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर और बांदा जिलों को सिंचाई सुविधा मिलेगी। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के 59 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई होगी।
- पेयजल सुविधा: परियोजना से मध्य प्रदेश के 44 लाख और उत्तर प्रदेश के 21 लाख लोगों को पेयजल की सुविधा मिलेगी।
- ऊर्जा उत्पादन: 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा।
- सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण: चंदेल कालीन 42 तालाबों का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
सूखा और पलायन का समाधान
बुंदेलखंड के लिए यह परियोजना मील का पत्थर साबित होने वाली है। इससे ना केवल जल संकट दूर होगा, बल्कि औद्योगिकीकरण, निवेश और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। सूखा और पलायन, जो वर्षों से बुंदेलखंड की पहचान बन चुका था, अब इतिहास बन जाएगा। इस परियोजना से किसानों की सिंचाई की जरूरत पूरी होगी और क्षेत्र में जल संकट की समस्या का स्थायी समाधान मिलेगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड के विकास का नया रास्ता खोलेगी और क्षेत्र के किसानों, उद्योगों और आम जनता के जीवन में बड़े बदलाव लाएगी। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम भारत के जल संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी पहल है।