
भोपाल,MP। मध्य प्रदेश सरकार राज्य के धार्मिक शहरों में शराबबंदी लागू करने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में संकेत दिया कि सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि धार्मिक नगरों की पवित्रता को बनाए रखने के लिए साधु-संतों और समाज के अन्य वर्गों की मांगों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया जा सकता है।
संतों की मांग पर विचार कर रही सरकार
सीएम ने कहा, “साधु-संत लंबे समय से धार्मिक शहरों में शराबबंदी की मांग कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य इन नगरों का वातावरण पवित्र और शुद्ध बनाए रखना है।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि धार्मिक शहरों में शराब की बिक्री से संबंधित शिकायतें सरकार तक पहुंच रही थीं। इसे देखते हुए नीति में सुधार के लिए कदम उठाने पर विचार किया जा रहा है।
बजट सत्र में हो सकता है बड़ा फैसला
डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आगामी बजट सत्र में इस मुद्दे पर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले सरकार शराब नीति में संशोधन पर ठोस कदम उठाने की योजना बना रही है।
धार्मिक नगरों की पवित्रता प्राथमिकता
सीएम ने कहा, “धार्मिक शहरों में शराबबंदी का उद्देश्य न केवल वहां के वातावरण को पवित्र बनाए रखना है, बल्कि समाज में सकारात्मक संदेश भी देना है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार इस मांग को लेकर पूरी तरह गंभीर है और जल्द ही इसका समाधान सामने आएगा।
कौन-कौन से शहर हो सकते हैं प्रभावित?
धार्मिक महत्व वाले शहर, जैसे उज्जैन, ओंकारेश्वर, चित्रकूट, महेश्वर, और अमरकंटक, जहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं, सरकार की इस योजना का हिस्सा हो सकते हैं। इन शहरों में शराबबंदी लागू होने से न केवल सामाजिक माहौल सुधरेगा, बल्कि धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
शराब नीति में बदलाव जरूरी
शराबबंदी लागू करने के लिए सरकार को अपनी मौजूदा शराब नीति में संशोधन करना होगा। हालांकि, इस कदम से राज्य के राजस्व पर असर पड़ सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री ने कहा कि धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है।
साधु-संतों की प्रतिक्रिया
साधु-संतों ने सरकार के इस रुख का स्वागत किया है। फलाहारी आश्रम के संत रामप्यारी दास महाराज ने कहा, “धार्मिक शहरों में शराबबंदी एक सराहनीय कदम होगा। इससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा।”
जनता की राय
सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर जनता के बीच भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। लोगों का मानना है कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह कदम आवश्यक है।
आने वाले दिनों में फैसला संभव
सीएम डॉ. मोहन यादव के इस बयान के बाद अब सबकी नजरें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है।