Rewa। शहर के नया बस स्टैंड स्थित प्रार्थना हॉस्पिटल में एक और प्रसूता की मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया है। डॉ. सोनल अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरती, जिससे महिला की हालत बिगड़ गई और अंततः उसकी मौत हो गई। इस घटना से परिजनों में आक्रोश है, और उन्होंने समान थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई है।
4 फरवरी को भर्ती, 14 फरवरी को मौत
पीड़ित अरुण सिंह बिसेन (निवासी पड़ा, रीवा) ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उनकी बहू अंजली सिंह गर्भवती थी, जिसका इलाज प्रार्थना हॉस्पिटल में डॉ. सोनल अग्रवाल द्वारा किया जा रहा था। डॉक्टर ने पहले डिलीवरी डेट 22 फरवरी बताई थी, लेकिन 4 फरवरी को जब अंजली को सामान्य चेकअप के लिए अस्पताल ले जाया गया, तो डॉक्टर ने उसे भर्ती कर लिया।
इसके बाद अंजली को कुछ दवाइयाँ दी गईं, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई—ब्लड प्रेशर लो हो गया और खांसी आने लगी। डॉक्टर ने बिना ज्यादा देर किए उसे ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर डिलीवरी कराई। बच्ची जन्मी, और स्टाफ ने परिजनों को बताया कि मां और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं, लेकिन अंजली को कुछ समय के लिए ओटी में ही रखा जाएगा।
रात करीब 11 बजे, डॉक्टर ने अचानक परिजनों को बताया कि अंजली की हालत नाजुक है, अत्यधिक ब्लीडिंग हो रही है, और उसे तुरंत दूसरे अस्पताल ले जाना होगा। परिजन उसे जबलपुर के सेल्वी हॉस्पिटल ले गए, जहां 10 दिनों तक इलाज चला, लेकिन 14 फरवरी को उसकी मौत हो गई।
डॉक्टर की लापरवाही बनी मौत की वजह?
परिजनों का आरोप है कि डॉ. सोनल अग्रवाल ने ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरती, जिससे अंजली की हालत बिगड़ी और अंततः उसकी जान चली गई।
यूट्रस निकालने से बिगड़ी हालत!
जब परिजन अंजली को जबलपुर ले गए, तो वहाँ के डॉक्टरों ने बताया कि अंजली का यूट्रस निकाल दिया गया था, जिससे अत्यधिक ब्लीडिंग हुई और नसें भी कट गईं। हालत इतनी गंभीर हो गई कि 22 यूनिट ब्लड देने के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका।
पहले भी हो चुकी हैं लापरवाही की घटनाएं!
प्रार्थना हॉस्पिटल का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इस अस्पताल में लापरवाही के कारण कई मरीजों की मौत हो चुकी है। कई बार स्वास्थ्य विभाग और पुलिस में शिकायतें भी दर्ज कराई गईं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
स्थानीय लोग और परिजन अब न्याय की मांग कर रहे हैं। पीड़ित परिवार ने कहा कि अगर उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
👉 अब सवाल यह है कि क्या इस बार प्रशासन कार्रवाई करेगा या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?