January 8, 2025 7:10 pm

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Satna: दीवारों पर लिखी दर्द की दास्तान, 93 लाख के गेहूं घोटाले से पीड़ित किसानों ने नेताओं की एंट्री की बैन

Satna (मझगवां): सतना जिले के करिगोही और आसपास के गांवों में 93 लाख रुपये के गेहूं घोटाले से पीड़ित किसानों की आहत व्यथा अब दीवारों पर लिखी जा रही है। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद जब कोई सुनवाई नहीं हुई, तो परेशान किसानों ने “दीवारों का सहारा” लिया।

किसानों की व्यथा: दीवारों पर लिखा दर्द

करीब 35 से 40 किसानों की मेहनत की कमाई फंसी हुई है। अब गांवों की दीवारें उनकी आवाज बन गई हैं। दीवारों पर स्लोगन लिखे गए हैं:

  • “प्रशासन मौन है, गेहूं चोर कौन है?”
  • “हमारी मेहनत लूटी गई, इंसाफ कब मिलेगा?”
  • “नेताओं की इस गांव में नो एंट्री।”

घोटाले का खुलासा और अब तक की कार्रवाई

घोटाला अप्रैल 2024 में उजागर हुआ था, जब कारीगोही स्थित जयतमाल बाबा महिला स्व-सहायता समूह पर फर्जीवाड़े के आरोप लगे। किसानों से खरीदे गए गेहूं का भुगतान करने के बजाय फर्जी किसानों के नाम पर ट्रांसपोर्ट चालान (टीसी) बनाकर 93 लाख रुपये का गबन किया गया।

प्रारंभिक कार्रवाई:

  • प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।
  • जांच के दौरान 4 और आरोपी सामने आए।
  • जिला स्तरीय जांच समिति गठित की गई।
  • न्यायालय ने दोषियों को गबन की राशि का कुछ हिस्सा लौटाने का आदेश दिया।

भुगतान में देरी:

  • केवल दो आरोपियों ने कुछ रकम लौटाई है।
  • 35 किसानों की बकाया राशि अभी भी होल्ड पर है।

पीड़ित किसान: न्याय की आस में दर-दर भटक रहे

करीब 10 महीनों से किसान अपनी मेहनत की कमाई के लिए प्रशासन और अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।

  • फर्जीवाड़े का खेल: 13 ट्रकों की फर्जी टीसी तैयार की गई, जिसमें असली किसानों के नाम दर्ज थे।
  • राशि होल्ड पर: असली किसानों को भुगतान न करके फर्जी नामों पर रकम निकाल ली गई।
  • आर्थिक तंगी: किसानों के खाते में पैसे नहीं पहुंचने से उनकी आजीविका पर संकट आ गया है।

खाद्य आपूर्ति निगम अधिकारी का पक्ष

खाद्य आपूर्ति निगम के अधिकारी पंकज बोरसे ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा:

  • “जांच कमेटी ने जिन किसानों का गेहूं जमा पाया, उनका भुगतान किया गया। बाकी किसानों का गेहूं जमा नहीं था, इसलिए भुगतान नहीं किया जा सकता। मामला न्यायालय में है।”

नेताओं और प्रशासन के प्रति आक्रोश

किसानों का कहना है कि घोटाले के बाद कोई नेता या जनप्रतिनिधि उनकी समस्या सुनने नहीं आया। उन्होंने गांवों में नेताओं की एंट्री पर बैन लगाने के पोस्टर तक लगा दिए हैं।

ग्रामीणों का संदेश: “हमारे साथ अन्याय नहीं सहेंगे”

सतना जिले के कारीगोही, सेलौरा, सोनवर्षा, वीरपुर, और अमरिती जैसे गांवों में दीवारों पर लिखे स्लोगन प्रशासन और समाज को चेतावनी हैं कि किसानों की मेहनत की कमाई लौटाना अनिवार्य है।

सरकार और प्रशासन के लिए सबक

  • घोटालों के मामलों में त्वरित न्याय दिलाने के लिए मजबूत तंत्र विकसित करना जरूरी है।
  • किसानों के साथ हुए अन्याय को दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • नेताओं और जनप्रतिनिधियों को पीड़ितों के बीच जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

किसानों की मांग:

पीड़ित किसानों ने साफ शब्दों में कहा है कि यदि जल्द से जल्द उनकी बकाया राशि नहीं लौटाई गई तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।

यह घटना सिर्फ किसानों की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।

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