सड़क निर्माण में की जा रही खानापूर्ति ..येन केन प्रकारेण कार्य पूरा करने में लगा दिलीप बिल्डकॉन...
मऊगंज,जिला रीवा (म.प्र.)। आप मऊगंज से गढ़ कटरा तक बनने वाली सड़क के भविष्य का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि लगभग 22 महीने का काम 6-7 महीने में खत्म किया जा रहा है..जिससे सड़क को बनने के लिए जो पर्याप्त समय चाहिए वह नहीं मिल पाएगा..
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जब कोई घर की छत भी डलवाता है तो उसकी पकने की एक समय सीमा होती है जो कि छत को मजबूत और स्थिर बनाती है..इस समय सीमा में उसकी तराई भरपूर मात्रा में की जाती है और कुछ समय बाद ही उसे खोला जाता है..जिससे छत सालो साल चलता है..शायद इन्ही सब बातो के मद्देनजर सड़क निर्माण को पूरा करने की समय सीमा लगभग 22 महीने तय की गयी होगी..सूत्रों के अनुसार इस 22 महीने में 3 प्रोजेक्ट्स पूरे करने थे जिसमे से दो प्रोजेक्ट्स जो सड़क निर्माण के ही थे ,पूरे किये जा चुके हैं..तीसरा और आखिरी प्रोजेक्ट जिसमे मऊगंज से गढ़ कटरा तक का सड़क निर्माण शामिल है वह भी पूरा होने की कगार में है..देखने में तो यह बड़ा ही अच्छा लगता है कि काम जल्दी पूरा हो गया..
पीक्यूसी सड़क..
कई जगहों में जहां पीक्यूसी सड़क बननी है वहाँ नाम मात्रा का लोहा डाला जा रहा है जिसका कोई औचित्य आम जनता को नजर नही आता..कंपनी के ही कर्मचारी यह कहते नजर आते हैं कि अगर लोहा लगना भी है तो 32 एमएम का होना चाहिए क्योंकि अभी इस्तेमाल होने वाले 10 एमएम का रॉड किसी काम का नहीं जो गिट्टी डालते वक़्त ही अपनी जगह से उठ जाता है..अब ऐसे में इन डाबेल बार की क्या उपयोगिता रहती है यह तो इंजीनियर ही बखूबी बता पाएंगे..वरिष्ठ कांग्रेसी नेता विश्वनाथ मिश्र बिस्सू ने यह आरोप लगाया है कि सड़क निर्माण में मानकों को पूरी तरह से दरकिनार किया जा रहा है..न तो सड़क की भरपूर तराई की जा रही है और न ही पर्याप्त लोहा और वाइब्रेटर का उपयोग किया जा रहा है ..आलोक शर्मा ,जेबलाल पटेल पूर्व पार्षद,राजेश वर्मा आदि ने उच्चाधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करते हुए उचित कार्यवाही की मांग की है ..डाबेल बार..
तस्वीरों में आप देख और समझ सकते हैं कि सड़क निर्माण में लोहे के नाम पर और इतनी दूरी पर लगने वाले इन डाबेल बार की क्या भूमिका होगी जो कि एक दुसरे से बिना जोड़े काफी दूरी पर रखे जा रहे हैं..
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