ननद को भी 12 वर्ष सश्रम कारावास की सजा
त्वरित न्यायालय ने सुनाया निर्णय
चित्रकूट गर्भवती विवाहिता की दहेज हत्या के मामले में दोष सिद्ध होने पर न्यायालय ने मृतका के सास, ससुर और पति को 14-14 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही मृतका की ननद को भी 12 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है!
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता गोपाल दास ने बताया कि मऊ क्षेत्र के ताड़ी गांव के निवासी ज्ञानचन्द्र ने मऊ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस को दी गई तहरीर में ज्ञानचन्द्र ने बताया कि उसने अपनी बेटी गीता की शादी बीती छह मई 2019 को शिवपुर गांव के निवासी हनुमान के साथ की थी। शादी के बाद से ही ससुरालीजन उसकी बेटी से दहेज में एक लाख रुपये और लाने की मांग करने लगे। साथ ही मांग को लेकर उसके साथ मारपीट करने लगे। इसके चलते वह गीता को अपने गांव ताड़ी ले आया, किंतु ससुरालीजन उसे आकर दोबारा उत्पीड़न न करने का वादा करके वापस ले गए। इसके बाद बीती 23 गई 2020 की शाम चार बजे गीता ने बताया कि उसे बहुत मारा है। इसकी सूचना मिलने पर वह मौके पर गया, जहां चिकित्सक ने बताया कि गंभीर हालत के चलते गीता को प्रयागराज रिफर कर दिया गया है। वहां जाने पर गीता ने उसे बताया कि ससुरालीजनों ने उस पर मिट्टी का तेज डालकर उसे जलाया था। इलाज के दौरान उसकी गर्भवती बेटी का गर्भपात हो गया और 30 मई 2020 को उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मामले की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था। बचाव और अभियोजन पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद गुरुवार को त्वरित न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश नीरज श्रीवास्तव ने इस मामले में निर्णय सुनाया। जिसमें दोष सिद्ध होने पर मृतका गीता के पति हनुमान, ससुर गंगा उर्फ गंगादीन व सास रामदुलारी को 14-14 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। इसी प्रकार मृतका की ननद गुडिया को 12 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। साथ ही प्रत्येक आरोपी को 12,000-12,000 रुपये के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया।