भोपाल,MP। मॉडलिंग और एंकरिंग में पहचान बनाने के बाद आध्यात्म की ओर कदम बढ़ाने वाली भोपाल की हर्षा रिछारिया इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह साधु-संतों के साथ रथ पर बैठी नजर आ रही हैं। इस वीडियो के बाद कई लोगों ने उन्हें साध्वी कहना शुरू कर दिया। हालांकि, हर्षा ने स्पष्ट किया कि वह साध्वी नहीं हैं, लेकिन आध्यात्मिक जीवन को अपना चुकी हैं।
आध्यात्म की ओर बढ़ा झुकाव
हर्षा ने बताया कि उन्होंने मॉडलिंग और एंकरिंग में करियर बनाया, लेकिन सुकून की तलाश ने उन्हें आध्यात्म की ओर खींच लिया। करीब दो साल पहले उन्होंने ग्लैमर की दुनिया को अलविदा कह दिया। अब वह निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंदगिरी जी महाराज की शिष्या हैं।
करियर की शुरुआत और बदलाव
हर्षा ने 2015 में पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण नौकरी शुरू की थी। इसके बाद उन्होंने मॉडलिंग और एंकरिंग में कदम रखा। अपने प्रोफेशनल करियर में उन्होंने कई बड़े इवेंट्स होस्ट किए और मॉडलिंग के कई प्रोजेक्ट्स किए। लेकिन बीते दो वर्षों में उन्होंने इस चकाचौंध भरी दुनिया को छोड़कर उत्तराखंड में रहना शुरू कर दिया।
महाकुंभ से मिली पहचान
महाकुंभ के दौरान वायरल हुए वीडियो में हर्षा साधु-संतों के साथ दिखाई दीं। सोशल मीडिया पर इस वीडियो ने उन्हें नई पहचान दी। इंस्टाग्राम पर हर्षा ने खुद को सोशल एक्टिविस्ट और इंफ्लूएंसर बताया है। उनके एक्स (पूर्व में ट्विटर) प्रोफाइल पर भी लिखा है कि वह आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंदगिरी जी महाराज की शिष्या हैं।
आध्यात्मिक जीवन की प्रेरणा
एक इंटरव्यू में हर्षा ने कहा कि सफलता और शोहरत के बावजूद जीवन में एक खालीपन महसूस होता था। यह एहसास उन्हें आध्यात्म की ओर ले गया। उन्होंने बताया, “जीवन में बहुत कुछ हासिल करने के बाद भी ऐसा लगता था कि कुछ अधूरा है। यह सब झूठा सा लगता था। शांति की तलाश ने मुझे आध्यात्म की राह दिखाई।”
सोशल मीडिया पर वायरल
महाकुंभ से जुड़े उनके वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। लोग उनकी नई पहचान और आध्यात्मिक जीवन की सराहना कर रहे हैं। हर्षा ने कहा कि वह अब अपने जीवन को समाज सेवा और आध्यात्मिकता के साथ जोड़कर आगे बढ़ाना चाहती हैं।
परिवार का समर्थन
हर्षा ने बताया कि उनका परिवार उनके इस फैसले में उनके साथ है। उन्होंने कहा कि परिवार की सहमति और समर्थन से ही वह आध्यात्मिक जीवन जीने का निर्णय ले पाईं।
हर्षा रिछारिया की कहानी यह दिखाती है कि जीवन में सच्चे सुकून की तलाश आपको नई राह पर ले जा सकती है। महाकुंभ के जरिए चर्चा में आईं हर्षा अब आध्यात्म और समाज सेवा के माध्यम से नई पहचान बना रही हैं।