23 साल की तपस्या और आध्यात्मिक जीवन ने दी नई पहचान
मुंबई। बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री रहीं Mamta कुलकर्णी अब आध्यात्मिकता की राह पर हैं। उन्होंने विधि-विधान से संन्यास लेकर किन्नर अखाड़ा में महामंडलेश्वर का पद ग्रहण किया। किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता के पट्टाभिषेक की घोषणा करते हुए बताया कि उन्हें अब “महामंडलेश्वर यमाई ममतानंद गिरि” के नाम से जाना जाएगा। ममता ने अपने इस आध्यात्मिक सफर और जीवन में आए बदलावों को लेकर खुलकर बात की।
“अब फिल्मों में लौटने का सवाल ही नहीं”
ममता कुलकर्णी ने कहा कि उन्होंने 23 साल पहले ही बॉलीवुड को अलविदा कह दिया था। उन्होंने बताया, “मैंने सांसारिक जीवन छोड़कर ध्यान और तपस्या का मार्ग चुना। मुझे फिल्मों में लौटने की कोई इच्छा नहीं है।” उन्होंने बताया कि उनके गुरु चैतन्य गगन गिरी और किन्नर अखाड़ा के स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनके जीवन को आध्यात्मिक दिशा दी।
सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में समर्पण
ममता ने कहा, “सनातन का मतलब दिव्यता है। यह हमेशा था, है और रहेगा। मैं इसे स्वतंत्र रूप से प्रचारित करूंगी। किन्नर अखाड़ा एक ऐसा माध्यम है, जो मुझे इस दिशा में काम करने की पूरी आजादी देता है।” उन्होंने बताया कि उनकी तपस्या और ध्यान का उद्देश्य केवल आत्मज्ञान और सनातन धर्म की सेवा करना है।
कुंभ मेले में मिली आध्यात्मिक पहचान
ममता ने बताया कि यह कुंभ मेला उनके लिए बेहद खास है। “12 साल पहले मैं कुंभ मेले में आई थी, लेकिन इस बार मेरी यात्रा ने मुझे महामंडलेश्वर के रूप में एक नई पहचान दी। यह मेरी तपस्या का प्रमाण है,” उन्होंने कहा।
धर्म के प्रचार के लिए बॉलीवुड का काम स्वीकार करेंगी
ममता ने कहा कि अगर बॉलीवुड में धर्म और आध्यात्म से जुड़े प्रोजेक्ट्स मिलते हैं, तो वह उन्हें जरूर करेंगी। उन्होंने कहा, “हेमा मालिनी और अरुण गोविल जैसे कलाकारों ने भी धर्म का प्रचार किया है। अगर मुझे ऐसा कोई काम मिलता है, तो मैं उसे स्वीकार करूंगी।”
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार पर नाराजगी
ममता ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “हिंदुओं पर अत्याचार बंद होना चाहिए। इतनी नफरत क्यों है? मैंने अपनी तपस्या के दौरान प्रलय का अनुभव किया है। यह सृष्टि शिवशक्ति से उत्पन्न हुई है, और यहां किसी को कष्ट देने का फल जरूर मिलेगा।”
तपस्या के दौरान भगवान से गुस्सा भी आया
ममता ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा, “मैंने जब अन्न त्याग दिया और कठिन तपस्या की, तो कई बार भगवान से गुस्सा भी हुआ। लेकिन जब मुझे महामंडलेश्वर बनने का न्योता मिला, तो समझ आया कि मेरी तपस्या का यही फल था।”
किन्नर अखाड़ा का समर्थन
स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि किन्नर अखाड़ा ममता के फैसले का पूरा समर्थन करता है। उन्होंने कहा, “ममता ने जो साधना और तपस्या की है, वह प्रेरणादायक है। किन्नर अखाड़ा उनके साथ है और उन्हें धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए पूरी आजादी है।”
ममता कुलकर्णी का जीवन बॉलीवुड की चकाचौंध से निकलकर आध्यात्मिकता की ओर एक प्रेरणादायक यात्रा है। उनका यह सफर यह संदेश देता है कि समर्पण और तपस्या से जीवन में किसी भी दिशा में परिवर्तन संभव है।