
Mauganj : थाना प्रभारी साहब, कुछ तो शर्म कीजिए!
अपहरण के बाद भी पुलिस की चुप्पी, परिवार को मिल रही धमकियां – लेकिन साहब के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही
हनुमना। अगर पुलिस की निष्क्रियता की कोई मिसाल देखनी हो, तो हनुमना थाना सबसे बेहतरीन उदाहरण बन सकता है! एक नाबालिग लड़की के अपहरण का मामला सामने आया है, लेकिन पुलिस की कार्रवाई इतनी सुस्त है कि अपराधियों को खुला मैदान मिल गया है।
क्या है मामला?
मऊगंज जिले के हनुमना तहसील अंतर्गत ढाबा गौतमान गांव के निवासी ने हनुमना थाना में शिकायत दर्ज कराई कि उसकी 16 वर्षीय बेटी को गांव के ही एक युवक और उसके साथी ने अपहरण कर लिया। आरोपियों ने पहले भी लड़की को स्कूल आते-जाते परेशान किया था। जब पिता ने इसका विरोध किया, तो उन्हें धमकी दी गई कि”बेटी की शादी हमारे लड़के से कर दो, वरना पूरे परिवार को खत्म कर देंगे।”
आरोपियों के हौसले बुलंद, पीड़ित परिवार दहशत में
लड़की के अपहरण के बाद से अब तक उसका कोई सुराग नहीं लगा है। परिवार न्याय की गुहार लगाता फिर रहा है, लेकिन थाना प्रभारी साहब की कार्यशैली देखते हुए ऐसा लग रहा है कि शायद वे किसी ‘खास इशारे’ के बिना कुछ करने के मूड में नहीं हैं।
माननीय का हाथ, प्रभारी के सिर पर ताज!
सूत्रों की मानें तो थाना प्रभारी साहब को किसी “माननीय” का आशीर्वाद प्राप्त है और शायद यही वजह है कि वो खुद को भगवान मान बैठे हैं। उन्हें लगता है कि वो जिसे चाहें बचा सकते हैं, जिसे चाहें फंसा सकते हैं, और जनता की परवाह करने की कोई जरूरत नहीं। लेकिन यह पब्लिक है, सब जानती है! कब किसे अर्श से फर्श पर बैठा दे, यह भी इतिहास गवाह है।
हत्या को आत्महत्या बनाने का खेल !
यह वही थाना प्रभारी हैं, जिनके कार्यकाल में एक हत्या को आत्महत्या बनाने की पूरी कोशिश की गई थी। जबकि डॉक्टर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा था कि मृतक के शरीर पर चोट के निशान थे और गला दबाकर हत्या की गई थी।लेकिन साहब के लिए यह सिर्फ “रूटीन वर्क” था— सच्चाई को दफन करना, रसूखदारों को बचाना और कमजोर को दबाना।
यह वही पुलिस व्यवस्था है, जहां जुर्म का वजन आरोपी की पहुंच और जेब के वजन से तय होता है।
प्रशासन की चुप्पी – अपराधियों को खुला लाइसेंस?
थाने में बैठे जिम्मेदार अधिकारी शायद यह सोच रहे हैं कि मामला धीरे-धीरे ठंडा पड़ जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि अगर कल किसी और की बेटी को इसी तरह उठा लिया जाए, तब भी क्या पुलिस ऐसे ही आंख मूंदे बैठी रहेगी?
आखिर कब जागेगी पुलिस?
अब देखना यह है कि थाना प्रभारी साहब अपनी कुर्सी पर आराम फरमाते रहेंगे या फिर कानून-व्यवस्था बनाए रखने की शपथ को याद करके अपराधियों पर नकेल कसेंगे? या फिर पीड़ित परिवार को खुद सड़क पर उतरकर इंसाफ मांगना पड़ेगा?