cyber fraud – CBI अधिकारी बताकर वीडियो कॉल पर पुलिस-कोर्ट का ड्रामा
पटना। राजधानी पटना में साइबर ठगी का एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पीएमसीएच से CBI अधिकारी बताकर रिटायर्ड डॉक्टर दंपती को साइबर अपराधियों ने 12 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर करीब 1.95 करोड़ रुपये की ठगी कर डाली। अपराधियों ने खुद को CBI अधिकारी बताकर इतना डराया कि डॉक्टर दंपती ने खुद बैंक जाकर 6 बार में RTGS के जरिए रकम ट्रांसफर कर दी।
कैसे फंसे जाल में:
हनुमान नगर निवासी 79 वर्षीय डॉ. राधे मोहन प्रसाद और उनकी पत्नी डॉ. छवि प्रसाद को 21 मई को एक कॉल आया। कॉलर ने खुद को CBI अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके नाम पर मुंबई के कोलाबा थाने में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है। डॉक्टर दंपती को विश्वास में लेने के लिए आरोपी ने कोलाबा थाने का एक फर्जी नंबर भी दिया। जब डॉ. छवि ने उस नंबर पर कॉल किया तो सामने से वकील, पुलिस अधिकारी और यहां तक कि “जज” की भूमिका में लोग बात करते रहे।
वीडियो कॉल पर नकली पुलिस और कोर्ट का सीन:
ठगों ने वीडियो कॉल पर पुलिस यूनिफॉर्म में लोगों को दिखाया और डॉक्टर दंपती को कहा गया कि अगर वे सहयोग नहीं करेंगे, तो तुरंत गिरफ्तार कर लिए जाएंगे और संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।
डर का ऐसा माहौल बना कि…
डर और मानसिक दबाव इतना बढ़ा कि डॉक्टर दंपती ने खुद बैंक जाकर छह किस्तों में लगभग 2 करोड़ रुपये साइबर अपराधियों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए। उन्हें लगातार निर्देश मिलते रहे कि वे घर से बाहर न जाएं, किसी से बात न करें और जांच पूरी होने तक ऑनलाइन निगरानी (Digital Arrest) में रहें।
12वें दिन खुली आंख:
लगातार मानसिक दबाव झेलने के बाद डॉक्टर दंपती को शक हुआ और उन्होंने दिल्ली में रहने वाले बेटे डॉ. सौरव से संपर्क किया। बेटे ने स्थिति को समझते हुए तत्काल साइबर थाने में शिकायत दर्ज करवाई।
53 लाख रुपये होल्ड:
डीएसपी राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है और पुलिस ने अब तक पीड़ित के 53 लाख रुपये होल्ड करवा लिए हैं। आगे की जांच तेज़ी से जारी है।
बेटे का दर्द:
डॉ. सौरव ने बताया कि साइबर ठगों ने माता-पिता की जीवनभर की मेहनत को लूट लिया। एक बेटा विदेश में है, दूसरा दिल्ली में — और इसी अकेलेपन और भरोसे को साइबर अपराधियों ने निशाना बनाया।
क्या कहता है पेट्रोल न्यूज़ ?:
यह मामला साइबर अपराध के उस खतरनाक स्तर को दिखाता है, जहां केवल तकनीक नहीं, बल्कि मानसिक नियंत्रण और भय का खेल खेला जाता है। प्रशासन और विशेषज्ञों की सलाह है कि इस तरह के कॉल या संदिग्ध नंबरों से हमेशा सतर्क रहें और ऐसी जानकारी तुरंत साइबर हेल्पलाइन पर साझा करें।