
Mauganj ।मऊगंज में बिना किसी मान्यता और आवश्यक सुविधाओं के अस्पताल व नर्सिंग होम धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। सरकारी नियमों को ताक पर रखकर खुले ये अस्पताल मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। न डॉक्टरों की डिग्री पक्की, न मशीनें चालू हालत में, फिर भी इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है।
‘लाइसेंस? वो किस काम का!’
अगर सही से जांच किया जाए तो पता चलेगा कि कई नर्सिंग होम बिना किसी रजिस्ट्रेशन के ही चल रहे हैं। झोलाछाप डॉक्टर मरीजों को दवाओं का ऐसा कॉकटेल दे रहे हैं, जिसका न तो कोई रिकॉर्ड है और न ही कोई वैज्ञानिक आधार।
मुनाफे की मंडी बनी स्वास्थ्य सेवा
इन अस्पतालों में मरीजों को बेहतर इलाज का झांसा देकर भर्ती किया जाता है और फिर फर्जी बिल बनाकर लूटा जाता है। बिना किसी विशेषज्ञ डॉक्टर के ऑपरेशन किए जा रहे हैं, और कई मामलों में तो एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं होती।
“नाम बड़े और दर्शन छोटे!”
मऊगंज के कई अस्पतालों के बोर्ड पर मशहूर डॉक्टरों के नाम और फोटो चमकते हैं, लेकिन हकीकत में अस्पताल महज एक या दो डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं। मरीजों को लगता है कि वे किसी विशेषज्ञ के इलाज में हैं, लेकिन असल में उन्हें अनुभवहीन या अप्रशिक्षित लोगों के हवाले कर दिया जाता है।
‘कागजों में फाइव-स्टार, असल में ढांचा लाचार’
अस्पतालों के कागजात में सब कुछ परफेक्ट दिखाया जाता है—विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम, आधुनिक सुविधाएं और इमरजेंसी सेवाएं। लेकिन जब मरीज हकीकत में वहां पहुंचते हैं, तो न तो विशेषज्ञ मिलते हैं, न ही वादा किए गए उपकरण काम करते हैं।
‘इलाज से ज्यादा बिलिंग में रुचि’
इन अस्पतालों में मरीजों की बीमारी का इलाज कम और जेब का इलाज ज्यादा किया जाता है। बिना जरूरत के टेस्ट, महंगी दवाइयां और फर्जी मेडिकल बिल आम बात हो चुकी है। मरीज अगर कोई सवाल उठाए, तो उसे “डॉक्टर साहब व्यस्त हैं” कहकर टाल दिया जाता है।
प्रशासन की आँखें कब खुलेंगी?
इन फर्जीवाड़ों की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय मूकदर्शक बने हुए हैं। आखिर प्रशासन की नींद कब टूटेगी? क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है।