मनमानी शुल्क और सेवाओं में देरी पर जनता की नाराजगी
Mauganj। एक समय था जब लोक सेवा केंद्रों को आम जनता की समस्याओं का हल समझा जाता था। लेकिन मऊगंज का लोक सेवा केंद्र अब एक अलग ही कहानी बयां कर रहा है। यहां के हालात देखकर लगता है कि सेवाएं देना तो दूर, अनियमितताओं का खेल ही मुख्य एजेंडा बन गया है।
सेवाएं धीमी, शुल्क तेज
केंद्र में सेवाओं की रफ्तार इतनी धीमी है कि लोग इसे “लोक प्रतीक्षा केंद्र” कहने लगे हैं। वहीं, शुल्क वसूली की गति इतनी तेज है कि पलक झपकते ही आपकी जेब हल्की हो जाती है। काम करवाने आए लोगों को यह नहीं पता होता कि उनके काम में कितना समय लगेगा, लेकिन यह तय है कि जेब में अतिरिक्त रकम नहीं है, तो फाइल आगे नहीं बढ़ेगी।
प्रतीक्षा: जनता का नया धर्म
यहां प्रतीक्षा करना एक धर्म की तरह हो गया है। घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद भी आपका नंबर आ जाए, यह किसी चमत्कार से कम नहीं। और अगर किसी ने कर्मचारियों से सवाल पूछने की हिम्मत कर ली, तो जवाब में या तो गुस्सा मिलेगा या “सिस्टम स्लो है” की अमर पंक्ति।
ऑनलाइन सेवाओं का “ऑफलाइन” सच
ऑनलाइन सेवाओं का प्रचार-प्रसार तो बड़े जोर-शोर से किया गया, लेकिन मऊगंज में इसका सच कुछ और ही है। आवेदन ऑनलाइन करवाने के लिए ऑफ़लाइन बार-बार चक्कर लगाना पड़ता है। अंततः लोग केंद्र पर आकर अतिरिक्त शुल्क देकर काम करवाने को मजबूर हो जाते हैं।
कर्मचारी या राजा?
केंद्र के कर्मचारी खुद को सेवक नहीं, बल्कि राजा समझने लगे हैं। उनकी बात मान लो, तो आपका काम जल्दी हो जाएगा। विरोध करो, तो “अगली बार आना” सुनने को मिल जाएगा। जनता के साथ ऐसा व्यवहार देखकर सवाल उठता है कि ये केंद्र सेवा के लिए हैं या जनता को परेशान करने के लिए?
अधिकारियों की चुप्पी, जनता की परेशानी
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अधिकारियों को इन अनियमितताओं की भनक क्यों नहीं लगती? या फिर जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है? जनता की शिकायतें या तो फाइलों में दबा दी जाती हैं या “जल्द कार्रवाई होगी” के वादे के साथ टाल दी जाती हैं।
जांच की मांग, कार्रवाई का इंतजार?
जनता ने अब प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग की है। जांच की मांग तो जोर पकड़ रही है, लेकिन कार्रवाई कब होगी, इसका इंतजार है।
मऊगंज लोक सेवा केंद्र का मौजूदा हाल यह सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर यह केंद्र किसके लिए काम कर रहा है। जनता की सेवा के लिए बने इन केंद्रों में अनियमितताएं खत्म होंगी या यह खेल ऐसे ही चलता रहेगा? जवाब प्रशासन के पास है, लेकिन जनता को इसका इंतजार करना होगा।