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भोपाल। मध्य प्रदेश में पैथोलॉजिस्टों की भारी कमी को देखते हुए सरकार MBBS डॉक्टरों को कुछ पैथोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री जांच करने के अधिकार देने की तैयारी कर रही है। इससे सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज को आसान बनाने में मदद मिलेगी। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग इस फैसले पर काम कर रहा है और अप्रैल तक इसे लागू करने की योजना है।
क्यों उठाया जा रहा यह कदम?
प्रदेश में 147 स्वीकृत पदों में से 70 पद खाली हैं, जिससे पैथोलॉजी सेवाओं में दिक्कतें आ रही हैं। निजी क्षेत्र में भी समस्या गंभीर है। कई जांच केंद्रों में एक ही डॉक्टर के नाम पर कई जगह रिपोर्ट तैयार होती है, जबकि हकीकत में जांच लैब टेक्नीशियन कर रहे हैं। इसे रोकने और जांच को अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए MBBS डॉक्टरों को कुछ जांच करने की अनुमति देने पर विचार किया जा रहा है।
किन जांचों की मिलेगी अनुमति?
सरकार सीबीसी (CBC), लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT), किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT), यूरिन रूटीन माइक्रोस्कोपिक, थायराइड, फेरेटिन जैसी जांचों को MBBS डॉक्टरों को करने की अनुमति देने की योजना बना रही है। इससे मरीजों को समय पर और सही रिपोर्ट मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
राज्यों को मिली छूट, MP भी करेगा लागू
केंद्र सरकार ने राज्यों को अपनी जरूरत के हिसाब से व्यवस्था करने की छूट दी है। कुछ अन्य राज्यों ने भी यह व्यवस्था लागू की है, अब मध्य प्रदेश भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। उप मुख्यमंत्री लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राजेंद्र शुक्ला ने अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
अप्रैल तक लागू हो सकता है नया नियम
सरकारी अस्पतालों के अलावा, निजी MBBS डॉक्टरों को भी यह अधिकार मिलेगा। मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। अगर सबकुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो अप्रैल तक यह व्यवस्था प्रभावी हो जाएगी।