Operation Sindoor Successful:
नई दिल्ली। 22 अप्रैल को जब कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर 26 हिंदू पुरुषों की हत्या की, तो सिर्फ गोलियां नहीं चली थीं — टूट गई थीं चूड़ियां, उजड़ गया था सिंदूर और बुझ गए थे जीवन के दिए। उन महिलाओं की चीखें सिर्फ घाटी नहीं, बल्कि पूरे देश की रगों में उतर गई थीं। उन्होंने कहा था—”मोदी को जाकर बता देना”, और 15 दिन बाद भारतीय वायुसेना ने वही जवाब दिया, जिसकी गूंज अब सरहद पार तक सुनाई दे रही है।
भारत ने इस सैन्य कार्रवाई को नाम दिया है ‘ऑपरेशन सिंदूर’। ये सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि उन महिलाओं के आंसुओं की प्रतिज्ञा थी, जिनका सुहाग उनकी आंखों के सामने मिटा दिया गया। सेना ने बताया कि ऑपरेशन का मकसद बदला नहीं, न्याय था — और वो न्याय अब दिया जा चुका है।
26 शहीदों के लिए 9 टारगेट तबाह
7 मई की रात 1:44 बजे भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की। टारगेट पर थे जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर मुख्यालय, लश्कर-ए-तैयबा का मुरीदके कैंप और कोटली, मुजफ्फराबाद जैसे अन्य ठिकाने। कुल 9 आतंकी अड्डों को सटीक निशाने पर लिया गया।
पाकिस्तानी सेना को छुआ तक नहीं
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह कार्रवाई पूरी तरह आतंकियों के खिलाफ थी। पाकिस्तान की सेना या नागरिक क्षेत्रों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया। ऑपरेशन के बाद सेना ने बयान जारी किया—“Justice is served” यानी इंसाफ पूरा हो चुका है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्यों?
इस मिशन का नाम सुनकर देश भर की आंखें भर आईं। जिन महिलाओं के सामने उनके पतियों को गोली मारी गई, उनके मांग का सिंदूर मिटा दिया गया था। सेना ने इस ऑपरेशन को ‘सिंदूर’ नाम देकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। सेना का कहना है कि इस कार्रवाई से एक संदेश गया है—अगर हिंदुस्तान की किसी महिला का सिंदूर छिना, तो दुश्मनों की जमींदोज़ी तय है।
पूरे देश ने कहा—ये सिर्फ ऑपरेशन नहीं, श्रद्धांजलि है
सोशल मीडिया से लेकर संसद तक, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की चर्चा हो रही है। यह एक सैन्य मिशन जरूर था, लेकिन इसमें एक सिपाही की गोली के साथ एक विधवा के आंसू भी शामिल थे।
इस कार्रवाई ने सिर्फ आतंकियों को खत्म नहीं किया, बल्कि उन 26 परिवारों को बताया कि भारत उनकी पीड़ा को समझता है, और उसका जवाब देना जानता है।