
समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शिशिर कुमार पांडेय तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुल सचिव मधुरेंद्र कुमार पर्वत, कुलाधिपति के निजी सचिव रमापति मिश्र उपस्थित थे । अपने संबोधन में कुलपति ने कहा कि यह पीठ केवल शोध कार्यों तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि
चित्रकूट जिले के बिहारा स्थित रामसैया में श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। कथा व्यास आचार्य विकास शुक्ला ने श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के विवाह प्रसंग का ऐसा अद्भुत वर्णन किया कि पूरा पंडाल भक्तिमय वातावरण से गूंज उठा। कथा स्थल पर उपस्थित श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं और महारास के
चित्रकूट विद्वानों ने शोध परक आलेखों के माध्यम से कार्यशाला से संबंधित विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला । कार्यशाला में समाज कार्य विभाग के प्रभारी डॉ मनीष कुमार ने जगदगुरु रामभद्राचार्य जी के योगदान को उल्लिखित करते हुए उनकी रचनाओं को अत्यंत प्रासंगिक बताया तथा उनकी रचनाओं को ब्रेल लिपि में अनुवाद को उपलब्ध
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